Friday, August 21, 2009

प्यार का चक्कर

प्यार का चक्कर

कल शाम को जैसे ही मैने लैब की तरफ कदम बढाया,
एक नये जोडे को घुमते पाया।
एक लडकी का नसीब बन गया,
फिर से एक लडका कुत्ता बन गया।

लडका अब कुत्ते की तरह दुम हिलाएगा,
लडकी के तलवे चाट कर सुख पाएगा।
कल तक जो सोता था दोपहर तक,
अब लडकी के मिसकौल पर दौडकर जाएगा।

मस्तियाँ जो होती थी दोस्तों के बीच
अब उसे बेगानी लगेगी,
लडकियों की बेदिमागी बातें
अब उसे ताजमहल की तरह रूमानी लगेगी।

सच है-
लडकियाँ कुत्ता नहीं पालती,
लोग कुत्ते बन जाते हैं।
खुद हीं जाकर
लडकियों के पास पल जाते हैं।

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